- 59 Posts
- 146 Comments
सर्वविदित है13 मई १९५२ को संसद की पहली बैठक हुयी थी l संसद को मजबूती प्रदान करने एवं उसे सुचारू ढंग से चलाने के लिए तत्कालीन समसामयिक वैचारिक क्रांति के जरिये संसदीय गरिमानुरूप व्यवस्था परिवर्तन को आत्मसात करते हुए स्वतंत्र भारत को प्रजातंत्रीय शासन के अंतर्गत लाया गया l यहाँ पर यह ध्यान देना समीचीन प्रतीत हो रही है की १९५२ की वैचारिक क्रांति पर आधारित संसदीय प्रणाली आधुनिक भूमंडलीकरण युग की थपेड़ों में शामिल नव अर्थव्यवस्था की नकारात्मकता को उखाड़ फेकने में नाकाफी शाबित हो रही है l यह परिदृश्य 90 की दशक से ही देशवासियों के बीच उजागिर है l केवल यह कहकर की हमारा संसदीय प्रणाली दुनिया की सबसे मजबूत शासन प्रणाली में शामिल है, गौरान्वित होकर हम चुप नहीं रह सकते l आखिर हमारे संसदीय प्रणाली रूपी विचार भी ६० साल पुराने हो चुके है ! संसद के ६० साल के संसदीय प्रणाली में परलक्षित हुयी कमियों के रिटायर्मेंट का वक्त मेरे विचार में आ चुका है l इस सन्दर्भ में २६ सितम्बर 2011 को “व्यवस्था परिवर्तन की आहट !” शीर्षक से लिखित मेरा लेख पढ़ने के लिए लिंक करें https://www.jagran.com/blogs/vijaykrsingh/2011/09/26/%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%B9%E0%A4%9F/
Read Comments